December 20, 2009

आखरी साँस तक


अंधेरे में रास्ता बनाना मुश्किल होता है,
तूफ़ान में दीपक जलाना मुश्किल होता है,
प्यार किसीसे भी कर लेना मुश्किल नहीं,
उसे आखरी साँस तक निभाना मुश्किल होता है !

December 14, 2009

"क्या करेगी निगाहें"

कल रात जब खिड़कियों से झाकते चाँद से निगाहें मिली,
तो चाँद ने कहा -
देखता क्या हैं मुझे,
मैंने तो नहीं छोड़ी चांदनी
और मैं मुँह फेर सो गया,
यूँ ही मेरी निगाहों ने दिन के सूरज से निगाहें मिलायी,
तो सूरज घूरते हुए कहने लगा -
कमब्खत को शर्म भी नहीं आती,
मेरी रौशनी को देखता हैं,
और मेरी निगाहों ने यहाँ भी मुझे धोखा ही दिया,
अब डरता हूँ कहीं आईने ने पूछा,
तो क्या करेगी निगाहें…