August 29, 2009

दूसरा जनम

ना जाने क्यों पिछले कुछ दिनों से ज़िन्दगी बोझ सी लगने लगी थी| सोचा क्यों ना इस बोझ को कम ही कर दिया जाए| सो मरने की सोची| सोची क्या यूँ कहिये कोशिश की| पर कम्बखत मौत ने भी साथ ना दिया| जानते हैं मुझ से कहती हैं, "तुझे तो अभी बहुत से काम करने हैं, और वैसे भी तेरी जरुरत उपरवाले को नही हैं| सो कुछ दिन और झेल ले इस ज़िन्दगी को| फिर ख़ुद आ कर तुझे ले जाऊगी| " तक़रीबन दो दिन सोचने के बाद मैंने भी निर्णय ले ही लिया| और वापस ज़िन्दगी से दोस्ती कर के लौट आया|

पर अब सोच रहा हूँ, की क्या करू, कहाँ से दूसरी शुरुआत करू| अब तक पिछली यादो ने ही पीछा नही छोड़ा हैं| ढूंड रहा हूँ की कैसे पीछा छुटाऊ| और कभी-कभी तो सोचता हूँ कि छुटाऊ ही क्यों? पता नहीं पिछले कुछ दिनों से क्या हो रहा है, मेरे साथ|

खैर छोडिये इस सब बातों को| अब आया हूँ तो कुछ न कुछ तो जरुर ही करुगा| वैसे मैं अपने दोस्तों और उनसे पहले उस उपरवाले को धन्यवाद करुगा, जिन्हों ने मुझे दूसरा जनम दिया हैं|

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